
खिलाड़ियों की 7 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
खिलाड़ियों की 7 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
रायपुर 25 जून 2021:- छत्तीसगढ़ प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी (खेलकूद प्रकोष्ठ) के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण जैन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र भेज कर कहा है कि आपके नेतृत्व में सरकार किसानों के बाद यदि सबसे ज्यादा लोकप्रिय है तो वह प्रदेश के खेल जगत में है, क्योंकि प्रदेश गठन के बाद पहली बार प्रदेश के खेल जगत को एक खिलाड़ी मुख्यमंत्री के रूप में मिला है, आपके मुख्यमंत्री बनने से सम्पूर्ण खेल जगत आपसे भारी आस लगाए हुए है और आप भी विभिन्न अवसरों पर अपने खेल प्रेम को जाहिर कर खिलाड़ियों के मनोबल को बढ़ाते हैं। मुख्यमंत्री बनते ही आपने सबसे पहला काम खेल विकास प्राधिकरण बना कर छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों की वर्षों पुरानी मांग पूरी की है, आपने बस्तर से लेकर सरगुजा तक विभिन्न मल्टीपर्पज स्पोर्ट्स इनडोर व आउटडोर स्टेडियमों की सौगातें दी हैं, आपने 1998 के बाद पहली बार 745 पदों पर पूर्ण कालिक व्यायाम शिक्षकों व विभिन्न विश्वविद्यालयों में खेल अधिकारियों की नियुक्तियां की है किन्तु वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से खेल सुधार में किए जा रहे कार्यों में विघ्न उत्पन्न हुआ है साथ ही महामारी से खेल जगत को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है। प्रवीण जैन ने खिलाड़ियों की ओर से मांग करते हुए कहा है कि प्रदेश में 2015 के बाद से उत्कृष्ट खिलाड़ियों के नामों की घोषणा नही हुई है, भाजपा सरकार द्वारा चुनावों में राजनैतिक लाभ उठाने के उद्देश्य से चुनावों के दरम्यान नवंबर 2018 में खिलाड़ियों को गुमराह करने आवेदन मंगवाया था, जिस पर कोई कार्यवाही नही की थी।
हमारी सरकार ने 25 फरवरी 2020 को उचित कार्यवाही करने के उद्देश्य से उत्कृष्ट खिलाड़ियों से आवेदन मंगवाया था, किंतु मार्च माह से लगातार विश्वव्यापी कोरोना महामारी की वजह से लगातार कार्य में व्यवधान आने से नामों की घोषणा अटकी पड़ी है, जिस वजह से हजारों खिलाड़ियों को रोजगार के अवसर नही मिल पा रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा विगत वर्ष व्यायाम शिक्षको के 745 पदों में भर्ती के लिए आवेदन मंगवाया गया था, जिसकी सारी प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है, कोविड संक्रमण की वजह से सभी शैक्षणिक संस्था विगत 2 सत्र से बंद है, जिस वजह से व्यायाम शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रदान नही किया जा सका है, मेरा आप से आग्रह है नवीन शैक्षणिक सत्र प्रारम्भ होते ही अविलंब व्यायाम शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रदान करने आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए। छत्तीसगढ़ में NIS प्रशिक्षकों/कोच व खेल अधिकारियों की नियुक्तियां काफी समय से नही हो पाई है, आपसे आग्रह है कि संबंधित विभागीय अधिकारियों को शीघ्र कार्यवाही हेतु निर्देशित करेंगे। आपके द्वारा खेल विकास प्राधिकरण की घोषणा की गई है, जिसका कार्य तीव्र गति से चल रहा था, किन्तु कोविड का ग्रहण इसकी प्रक्रिया पर भी पड़ा है, खेल विकास प्राधिकरण को शीघ्र अस्तित्व में लाने का दिशा निर्देश संबंधित अधिकारियों को देंगे। छत्तीसगढ़ प्रदेश के खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले पेशेवर खेलों के आयोजनों के लिए अंतराष्ट्रीय, राष्ट्रीय स्तर के हमारे आऊटडोर एवं इन्डोर स्टेडियमों को कम से कम दर पर उपलब्ध कराये जाने की मांग आपके समक्ष रखता हूँ ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकेंगी, जिससे खिलाड़ियों को अधिक अवसर दिया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में खेल विश्वविद्याल खोले जाने आवश्यक है। प्रदेश के खिलाड़ियों को सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में खास कर हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर मिल सके, इसके लिए योजना बनाई जानी चाहिए। प्रवीण जैन ने पत्र में कहा है कि खिलाड़ियों की भावना के अनुरूप 7 सूत्रीय मांगों को रखते हुए शीघ्र कार्यवाही सुनिश्चित करने की मांग की है।
अधि. प्रवीण जैन
प्रदेश अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (खेलकूद प्रकोष्ठ) 7771001701

जब बरसते पानी में भूपेश बघेल नंगे पैर फुटबॉल टूर्नामेंट का समापन करने पहुंचे
जब बरसते पानी में भूपेश बघेल नंगे पैर फुटबॉल टूर्नामेंट का समापन करने पहुंचे
https://youtu.be/OXEYLkgGOlQhttps://youtu.be/OXEYLkgGOlQ
छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस में मेरी नियुक्ति के बाद पहला आयोजन जुलाई 2018 में गर्ल्स और बॉयज का फुटबॉल टूर्नामेंट सपरेशाला मैदान में आयोजित कराया, टूर्नामेंट का रात्रिकालीन समापन था, दाऊजी PCC कार्यालय में देर शाम तक बैठकों में व्यस्त रहे, मैंने उनका टाइम ले रखा था लेकिन जोरदार बारिश हो रही थी, लड़कियां बरसते पानी में फ़स्ट हाफ खेल चुकीं थी रात्रि के आठ बज गए थे पानी धुंआधार गिर रहा था, भूपेश भईया ने गिरीश भईया से खबर भिजवाई पानी गिर रहा है फिर कभी अन्य कर्यक्रम में आ जाएंगे, अभी मना कर दो, गिरीश भैया ने मुझे मना किया तब मैंने उन्हें एक बात ही बोली बच्चियां मैच खेल रही हैं फस्ट हाफ हो चुका है सेकेंड हॉफ तब चालू करूँगा जब भूपेश भईया मैदान में आएंगे, यह बात जैसे ही भूपेश भईया को पता चली 10 मिनट के अंदर भईया शंकर नगर से मैदान में बरसते पानी में पहुंच गए, मैदान के चारो तरफ पानी भरा था, उन्होंने पूरी सहजता से जूते मोजे उतारे उन्हें एक हांथ में पकड़ा और दूसरे हांथ में छाता साथ मे गिरीश भईया और शैलेश भईया भी मौजूद थे, सभी ने बरसते पानी मे सेकेंड हाफ पूरा देखा और विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार वितरण किया लगभग 1.30 घंटे से ज्यादा समय उन्होंने हमारे साथ गुजारा और बच्चों को घर भेजने के बाद वे नंगे पैर वापस चले गए, उन्होंने मुझे जाते जाते कहा बहुत जीवट हो तुम, बहुत अच्छे…
अधि. प्रवीण जैन
प्रदेश अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (खेलकूद प्रकोष्ठ)

छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस द्वारा आयोजित योग प्रतियोगिता में भूपेंद्र, रोबिन, उमा, श्रद्धा व हेमंत ने जीता खिताब
छत्तीसगढ़ स्पोर्ट्स कांग्रेस द्वारा आयोजित योग प्रतियोगिता में भूपेंद्र, रोबिन, उमा, श्रद्धा व हेमंत ने जीता खिताब
दंतेवाड़ा की दादी पुष्पा को मिला लाइफटाइम एचीवर्स योग अवार्ड
रायपुर 21 जून:- अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ प्रदेश के नागरिकों में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने योग व आयुर्वेद को जीवनशैली में शामिल करने के उद्देश्य से ऑनलाइन योग प्रतियोगिता का आयोजन छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी खेलकूद प्रकोष्ठ व वीरजी आयुर्वेदिक संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में लगातार दूसरे वर्ष कराया गया। छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस के अध्यक्ष प्रवीण जैन ने जानकारी देते हुए बतलाया कि प्रतिभागियों को प्रज्ञा योग, अष्टांगा विन्यासा एवं सूर्य नमस्कार में से कोई भी 2 के वीडियो भेजना था, प्रतोयोगिता में कुल 477 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसमें 110 चयनित वीडियो को शोसल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक कर परफॉर्मेन्स व जनता की राय के अनुसार विजेताओं का चयन किया गया। प्रतियोगिता में प्रथम भूपेंद्र साहू डोंगरगढ़, द्वितीय रोबिन वर्मा रायपुर व उमा भारती चंद्रवंशी कबीरधाम, तीसरा स्थान श्रद्धा देशमुख अर्जुन्दा व हेमंत कौशिक बिलासपुर, बेस्ट इंस्पायरिंग योग प्रतिभागी चंचला पटेल रायगढ़, बेस्ट इमरजिंग योग परफॉर्मर संयुक्त रूप से हर्षिता भोई, निकिता मानिकपुरी बलौदाबाजार व करण कुमार दंतेवाडा, लाइफ टाइम योग अचीवमेंट अवार्ड के लिए श्रीमती पुष्पा पिस्दा दंतेवाड़ा तथा योगा परफॉर्मर ऑफ द ईयर वैशाली टांक राजनांदगांव को चुना गया। इसी प्रकार से अन्य बेस्ट 20 परफॉर्मर्स में सत्यनारायण महासमुंद चतुर्थ स्थान, ललित साहू, दीपिका साहू बलौदाबाजार, सुनील पटेल रायपुर, शिव साहू बलौदाबाजार, चेतना शर्मा तिल्दानेवरा, माधुरी वर्मा कर्मा, लोकेश वर्मा राजनांदगांव, मुकेश वर्मा, निधि परगनिहा, तृषा बनर्जी, काव्या सोलंकी, पूनम भगत सभी रायपुर, तमेश्वरी वर्मा कर्मा, करुणा पांडेय कोंडागांव, नेमीचंद दीवान महासमुंद एवं अनिता साहू रायपुर को चुना गया। प्रतियोगिता को सफल बनाने में योगज्योति संयोजिका, अन्नपूर्णा टिकरिहा समन्वयक एवं वर्षा साहू संयुक्त समन्वयक का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सभी विजेताओं को पुरस्कार वितरण राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त को रायपुर में प्रदान किया जायेगा।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (खेलकूद प्रकोष्ठ) 7771001701

छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस के द्वारा ऑनलाइन योग प्रतियोगिता का आयोजन
छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस के द्वारा ऑनलाइन योग प्रतियोगिता का आयोजन
रायपुर 15 जून:- 21 जून अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के आह्वान एवं कांग्रेस अध्यक्ष श्री मोहन मरकाम जी के निर्देशन पर वैश्विक कोरोना महामारी से निपटने प्रदेश के नागरिकों में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने योग व आयुर्वेद को जीवनशैली में शामिल करने के उद्देश्य से प्रतीकात्मक ऑनलाइन योग प्रतियोगिता का आयोजन वीरजी आयुर्वेदिक संस्थान के सहयोग से छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी खेलकूद प्रकोष्ठ द्वारा लगातार दूसरे वर्ष कराया जा रहा है। खेल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण जैन ने जानकारी देते हुए बतलाया कि प्रतिभागियों को प्रज्ञा योग, अष्टांगा विन्यासा एवं सूर्य नमस्कार में से कोई भी 2 को अधिकतम 1 मिनट का वीडियो नाम व शहर के नाम के साथ 7771001701 मोबाइल नम्बर पर 15-18 जून तक व्हाट्सएप करना है, चयनित वीडियो को छत्तीसगढ़ खेल महासंघ के फेसबुक पेज सहित विभिन्न शोसल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक किया जायेगा, कार्यक्रम की संयोजिका योगज्योति साहू एवं समन्वयक सुश्री अन्नपूर्णा टिकरिहा ने बतलाया कि परफॉर्मेन्स के 80% व जनता से राय लेकर 20% अंक प्रदान किए जाएंगे। 21 जून को शीर्ष 10 विजेताओं व अन्य चयनित 100 नामों की घोषणा के साथ प्रमाणपत्र व पुरस्कार वितरण राजीव भवन, शंकर नगर, रायपुर में कराया जायेगा।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (खेलकूद प्रकोष्ठ) 7771001701

कांग्रेस स्पोर्ट्स सेल का Yoga For Strength
खेल कांग्रेस और वीरजी आयुर्वेदिक संस्थान की संयुक्त प्रस्तुति “YOGA for STRENGTH-2” ऑनलाइन योग प्रतियोगिता आयोजित
माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के आह्वान एवं कांग्रेस अध्यक्ष श्री मोहन मरकाम जी के निर्देशन पर वैश्विक कोरोना महामारी से निपटने नागरिकों में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने योग व आयुर्वेद को जीवनशैली में शामिल करने के उद्देश्य से विश्व योग दिवस के अवसर पर प्रतीकात्मक ऑनलाइन योग प्रतियोगिता आयोजित कराई जा रही है। प्रतिभागियों को प्रज्ञा योग, अष्टांगा विन्यासा एवं सूर्य नमस्कार में से कोई भी 2 को अधिकतम 1 मिनट का वीडियो नाम व शहर का नाम बोलते हुए 7771001701 पर 14-15 जून तक WhatsApp करना है। 100 चयनित वीडियो को Facebook पेज *छत्तीसगढ़ खेल महासंघ* पर 17 जून को अपलोड किया जायेगा, परफॉर्मेन्स के 80% व पब्लिक ओपिनियन के 20% अंक प्रदान किए जाएंगे। 21 जून को Top 10 विजेताओं व सभी चयनित नामों की घोषणा के साथ प्रमाणपत्र व पुरस्कार वितरण राजीव भवन, शंकर नगर, रायपुर में किया जायेगा।
आयोजक:-
अधि. प्रवीण जैन
प्रदेश अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (खेलकूद प्रकोष्ठ)
संयोजक :- योगज्योति
समन्वयक :- सुश्री अन्नपूर्णा टिकरिहा

जैन विरुद्ध अनूप मंडल मामला:-
अनोप मंडल के खिलाफ देश की पहली FIR मई 2014 में हुई थी रायपुर में दर्ज
साइबर सेल की टीम ने बेवसाइट व फेसबुक पेज कराया था प्रतिबंधित
अनूप मंडल के अनुयायियों द्वारा शिकायत करता को कई बार दी गई थी जान से मारने की धमकी
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झीरमघाटी में शहीद नेताओं को कांग्रेस स्पोर्ट्स सेल ने दी श्रद्धांजलि छत्तीसगढ़ प्रीमियर लीग और खिलाड़ी सम्मान समारोह झीरमघाटी शहीद नेताओं की स्मृति में होगा आयोजित
झीरमघाटी में शहीद नेताओं को कांग्रेस स्पोर्ट्स सेल ने दी श्रद्धांजलि
छत्तीसगढ़ प्रीमियर लीग और खिलाड़ी सम्मान समारोह झीरमघाटी शहीद नेताओं की स्मृति में होगा आयोजित
रायपुर: झीरमघाटी शहीदी दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (खेलकूद प्रकोष्ठ) के द्वारा वर्चुअल बैठक रख अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, इस अवसर पर सभी पदाधिकारियों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किए, बैठक को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण जैन ने कहा कि है हमारे द्वारा प्रदेश के सभी प्रतिभावान खिलाड़ियों को विवत 3 वर्षों से खेल दिवस के अवसर पर झीरमघाटी शहीदों के नाम से खेल अलंकरण दिया जाता है, बैठक में यह सहमति बनी कि इस वर्ष भी प्रदेश भर में प्रत्येक जिलों में 29 अगस्त को शहीदों के नाम से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाएगा, प्रवीण जैन ने प्रदेश पदाधिकारियों को निर्देशित किया कि कोरोना से संक्रमित लोगों और जरूरतमंदों की मदद हम सभी खुले दिल से करे और छत्तीसगढ़ के प्रत्येक खिलाड़ी तक छत्तीसगढ़ का स्पोर्ट्स एप्लिकेशन सी.जी. स्पोर्ट्स का लाभ दिलाये, बैठक में प्रवीण जैन ने प्रदेश में आयोजित होने वाले प्रदेश के सबसे बड़े क्रिकेट आयोजन छत्तीसगढ़ प्रीमियर लीग को झीरमघाटी शहीदों की स्मृति में कराये जाने का प्रस्ताव रखा जो ध्वनिमत से पारित हुआ। बैठक को पीयूष डागा, भविष्य चंद्राकर अगरतला, मो. इमरान, अमित दीवान, सुमित सिंह भिलाई, गोल्डी नायक सरंगगढ़, अनामिका शुक्ला बिलासपुर, बिपलब मल्लिक दंतेवाड़ा, तरुण राय धमतरी, अनपूर्णा टिकरिहा बेमेतरा, निर्मल सिंह कोरबा, आकाश राव कांकेर, कमलेश यदु गरियाबंद, अजित गुप्ता बलरामपुर, मनमोहन सिंह मुंगेली, रमेश अग्रवाल रायगढ़, रवि राठौर, रीना चौरसिया जांजगीर, विनेश दौलतानी, अनुराग भंडारी सहित काफी संख्या में पदधिकागन बैठक में उपस्थित रहे।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (खेलकूद प्रकोष्ठ) 7771001701

योग और आयुर्वेद का आपस में क्या संबंध है?
आयुर्वेद एवं योग (Ayurveda and Yoga)
योग का संबंध आयुर्वेद से क्यों हैं? दरअसल हमारे ऋषि-मुनियों ने योग के साथ ही आयुर्वेद को जन्म दिया। इसके पीछे कारण यह कि वे सैकड़ों वर्ष तक जिंदा रहकर ध्यान और समाधि में गति करना चाहते थे। इसके चलते उन्होंने दोनों ही चिकित्सा पद्धति को अपने जीवन का अंग बनाया।
निश्चित ही योग करते हुए आप स्वस्थ रह सकते हैं लेकिन प्रकृति की शक्ति आपकी शक्ति से भी ज्यादा है और मौसम की मार सभी पर रह सकती है। हिमालय में प्राणायाम के अभ्यास से शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखा जा सकता है, लेकिन मान लो कोई गंभीर रोग हो ही गया तो फिर क्या कर सकते हैं। ऐसे में उन्होंने कई चमत्कारिक जड़ी-बुटियों की खोज की जो व्यक्ति को तुरंत तंदुरुस्त बनाकर दीर्घजीवन प्रदान करे।
आयुर्वेद एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है। बहुत से ऐसे रोग और मानसिक विकार हो सकते हैं जिस पर योग कंट्रोल न भी कर पाए तो आयुर्वेद उसका विकल्प बन जाता है और बहुत से ऐसे रोग भी होते हैं जिसे आयुर्वेद न भी कंट्रोल कर पाए तो योग उसका विकल्प बन जाता है।
योग करते हुए सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेदिक चिकित्सा का ही लाभ लेना चाहिए, क्योंकि योग आपके शरीर की प्रकृति को सुधारता है। योग और आयुर्वेद का संबंध अटूट है।
योग और आयुर्वेद के इस अटूट बंधन को एक सूत्र में पिरोने वीरजी आयुर्वेदिक संस्थान द्वारा लगातार लगातार 12 वर्षों तक मनेंद्रगढ़ में सेवा देने के पश्चात अब राजधानी रायपुर में सम्पूर्ण आयुर्वेदिक, प्राकृतिक, पंचकर्म एवं योग चिकित्सा की शुरूआत की जा रही है, संस्थान के संचालक प्रफुल जैन ने बतलाया कि एक ही छत के नीचे आयुर्वेदिक दवाइयों से लेकर सम्पूर्ण ईलाज की व्यवस्था उनके द्वारा चालू की जा रही है तथा सम्पूर्ण आयुर्वेदिक पद्दति से सभी सामान्य एवं जटिल रोगों का इलाज संभव हो सकेगा। किसी भी तरह की जानकारी के लिए 9691147111 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सेवाएं
योग चिकित्सा सेवा
योग मुख्यतः एक जीवन पद्धति है, इसमें यम, नियम, आसन,प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि आठ अंग है। योग के इन अंगों के अभ्यास से सामाजिक तथा व्यक्तिगत आचरण में सुधार आता है, शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त के भली-भॉति संचार होने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, इंद्रियां संयमित होती है तथा मन को शांति एवं पवित्रता मिलती है। योग के अभ्यास से मनोदैहिक विकारों/व्याधियों की रोकथाम, शरीर में प्रतिरोधक शक्ति की बढोतरी तथा तनावपूर्ण परिस्थितियों में सहनशक्ति की क्षमता आती है। ध्यान का, जो आठ अंगो में से एक है, यदि नियमित अभ्यास किया जाए तो शारीरिक अहितकर प्रतिक्रियाओं को घटाने की क्षमता बढती है, जिससे मन को सीधे ही अधिक फलदायक कार्यो में संलग्न किया जा सकता है।
यद्यपि योग मुख्यतः एक जीवन पद्धति है, तथापि, इसके प्रोत्साहक, निवारक और रोगनाशक अन्तःक्षेप प्रभावोत्पादक है। योग के ग्रंथो में स्वास्थ्य के सुधार, रोगों की रोकथाम तथा रोगों के उपचार के लिए कई आसानों का वर्णन किया गया है । शारीरिक आसनों का चुनाव विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए। रोगों की रोकथाम, स्वास्थ्य की उन्नति तथा चिकित्सा के उद्देश्यों की दृष्टि से उनका सही चयन कर सही विधि से अभ्यास करना चाहिए ।
अध्ययनों से यह प्रदर्शित होता है कि योगिक अभ्यास से बुद्धि तथा स्मरण शक्ति बढती है तथा इससे थकान एवं तनावो को सहन करने, सहने की शक्ति को बढाने मे तथा एकीकृत मनोदेहिक व्यक्तित्व के विकास में भी मदद मिलती है। ध्यान एक दूसरा व्यायाम है, जो मानसिक संवेगों मे स्थिरता लाता है तथा शरीर के मर्मस्थलों के कार्यो को असामान्य करने से रोकता है । अध्ययन से देखा गया है कि ध्यान न केवल इन्द्रियों को संयमित करता है, बल्कि तंत्रिका तंत्र को भी नियंमित करता है।
योग के वास्तविक प्राचीन स्वरूप की उत्पत्ति औपनिषदिक परम्परा का अंग है। तत्व ज्ञान एवं तत्वानुभूति के साधन के रूप में योग का विकास किया गया।
”योगशिचत्तवृत्ति निरोधः”
शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने के लिए अष्टाडंग योग की व्याख्या की गई जो निम्न प्रकार है।
यम- ”अंहिसासत्यास्तेयब्रहचर्यापरिग्रहा यमाः”
अहिंसा, सत्य, अस्तेय,ब्रहचर्य और अपरिग्रह को यम कहा गया है।
– ” शौचसंतोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः”
शौच, संतोष, तप स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान ये पांच नियम कहे है।
आसन- ” स्थिर सुखमासनम्”
जो स्थिर एवं सुखदायक हो वह आसन कहा है।
मोटे तौर पर योगासनों को तीन वर्गो में बांटा जा सकता है।
ध्यानात्मक आसन- यथा सिद्धासन, पद्मासन भद्रासन स्वस्तिकासन आदि।
विश्रांतिकर आसन- शवासन, दण्डासन, मकरासन आदि।
शरीर संवर्धनात्मक आसन- सिंहासन, गोमुकासन धनुरासन आदि
प्राणायाम- ”तस्मिन् सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेदः प्राणायामः”
आसन के स्थिर हो जाने पर श्वास प्रश्वास की गति को रोकना प्राणायाम कहा गया है।
यह बाह्यवृति, आभ्यान्तरवृति और स्तम्भवृति तीन प्रकार का कहा गया है।
प्रत्याहार-” स्वविषयासम्प्रयोगे चित्तस्य स्वरूपानुकार इवेन्द्रियाणां प्रत्याहारः”
अपने विषयो के साथ सम्बन्ध न होने पर चित्त के स्वरूप का अनुसरण करना इन्द्रियों का प्रत्याहार कहलाता है।
धारणा-” देशबन्धशिचत्तस्य धारणा”
चित्त (मन) का वृत्ति मात्र से किसी स्थान विशेष में बांधना धारणा कहलाता है।
ध्यान- ”तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम्”
उस (धारणा) में वृत्ति का एक सा बना रहना ध्यान कहलाता है।
समाधि- ” तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरूपशून्यमिव समाधिः”
जब केवल ध्येय ही अर्थ मात्र से भासता है और उसका स्वरूप शून्य हो जाता है वह ध्यान ही समाधि कहलाता है।
उपरोक्त प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि उत्तरोत्तर श्रेष्ठतर अवस्थाएं है।
प्राकृतिक चिकित्सा सेवा
प्राकृतिक चिकित्सा न केवल उपचार की पद्धति है, अपितु यह एक जीवन पद्धति है । इसे बहुधा औषधि विहीन उपचार पद्धति कहा जाता है। यह मुख्य रूप से प्रकृति के सामान्य नियमों के पालन पर आधारित है। जहॉ तक मौलिक सिद्धांतो का प्रश्न है इस पद्धति का आयुर्वेद से निकटतम सम्बन्ध है।
प्राकृतिक चिकित्सा के समर्थक खान-पान एवं रहन सहन की आदतों, शुद्धि कर्म, जल चिकित्सा, ठण्डी पट्टी, मिटटी की पट्टी, विविध प्रकार के स्नान, मालिश तथा अनेक नई प्रकार की चिकित्सा विधाओं पर विशेष बल देते है।
मिट्टी चिकित्साः-
मिट्टी जिसमें पृथ्वी तत्व की प्रधानता है जो कि शरीर के विकारों विजातीय पदार्थो को निकाल बाहर करती है। यह कीटाणु नाशक है जिसे हम एक महानतम औषधि कह सकते है।
मिट्टी की पट्टी का प्रयोगः-
उदर विकार, विबंध, मधुमेह, शिर दर्द, उच्च रक्त चाप ज्वर, चर्मविकार आदि रोगों में किया जाता है। पीडित अंगों के अनुसार अलग अलग मिट्टी की पट्टी बनायी जाती है।
वस्ति (एनिमा):-
उपचार के पूर्व इसका प्रयोग किया जाता जिससे कोष्ट शुद्धि हो। रोगानुसार शुद्ध जल नीबू जल, तक्त, निम्ब क्वाथ का प्रयोग किया जाता है।
जल चिकित्साः-
इसके अन्तर्गत उष्ण टावल से स्वेदन, कटि स्नान, टब स्नान, फुट बाथ, परिषेक, वाष्प स्नान, कुन्जल, नेति आदि का प्रयोग वात जन्य रोग पक्षाद्घात राधृसी, शोध, उदर रोग, प्रतिश्याय, अम्लपित आदि रोगो में किया जाता है।
सूर्य रश्मि चिकित्साः-
सूर्य के प्रकाश के सात रंगो के द्वारा चिकित्सा की जाती है।यह चिककित्सा शरीर मे उष्णता बढाता है स्नायुओं को उत्तेजित करना वात रोग,कफज,ज्वर,श्वास,कास,आमवात पक्षाधात, ह्रदयरोग, उदरमूल, मेढोरोग वात जन्यरोग,शोध चर्मविकार, पित्तजन्य रोगों में प्रभावी हैं।
उपवास-
सभी पेट के रोग, श्वास, आमवात, सन्धिवात, त्वक विकार, मेदो वृद्धि आदि में विशेष उपयोग होता है।
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय व औषधालय की सूची
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सेवाएं
योग चिकित्सा सेवा
योग मुख्यतः एक जीवन पद्धति है, जिसे पतंजलि ने क्रमबद्ध ढंग से प्रस्तुत किया था। इसमें यम, नियम, आसन,प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि आठ अंग है। योग के इन अंगों के अभ्यास से सामाजिक तथा व्यक्तिगत आचरण में सुधार आता है, शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त के भली-भॉति संचार होने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, इंद्रियां संयमित होती है तथा मन को शांति एवं पवित्रता मिलती है। योग के अभ्यास से मनोदैहिक विकारों/व्याधियों की रोकथाम, शरीर में प्रतिरोधक शक्ति की बढोतरी तथा तनावपूर्ण परिस्थितियों में सहनशक्ति की क्षमता आती है। ध्यान का, जो आठ अंगो में से एक है, यदि नियमित अभ्यास किया जाए तो शारीरिक अहितकर प्रतिक्रियाओं को घटाने की क्षमता बढती है, जिससे मन को सीधे ही अधिक फलदायक कार्यो में संलग्न किया जा सकता है।
यद्यपि योग मुख्यतः एक जीवन पद्धति है, तथापि, इसके प्रोत्साहक, निवारक और रोगनाशक अन्तःक्षेप प्रभावोत्पादक है। योग के ग्रंथो में स्वास्थ्य के सुधार, रोगों की रोकथाम तथा रोगों के उपचार के लिए कई आसानों का वर्णन किया गया है । शारीरिक आसनों का चुनाव विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए। रोगों की रोकथाम, स्वास्थ्य की उन्नति तथा चिकित्सा के उद्देश्यों की दृष्टि से उनका सही चयन कर सही विधि से अभ्यास करना चाहिए ।
अध्ययनों से यह प्रदर्शित होता है कि योगिक अभ्यास से बुद्धि तथा स्मरण शक्ति बढती है तथा इससे थकान एवं तनावो को सहन करने, सहने की शक्ति को बढाने मे तथा एकीकृत मनोदेहिक व्यक्तित्व के विकास में भी मदद मिलती है। ध्यान एक दूसरा व्यायाम है, जो मानसिक संवेगों मे स्थिरता लाता है तथा शरीर के मर्मस्थलों के कार्यो को असामान्य करने से रोकता है । अध्ययन से देखा गया है कि ध्यान न केवल इन्द्रियों को संयमित करता है, बल्कि तंत्रिका तंत्र को भी नियंमित करता है।
योग के वास्तविक प्राचीन स्वरूप की उत्पत्ति औपनिषदिक परम्परा का अंग है। तत्व ज्ञान एवं तत्वानुभूति के साधन के रूप में योग का विकास किया गया।
”योगशिचत्तवृत्ति निरोधः”
शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने के लिए अष्टाडंग योग की व्याख्या की गई जो निम्न प्रकार है।
यम- ”अंहिसासत्यास्तेयब्रहचर्यापरिग्रहा यमाः”
अहिंसा, सत्य, अस्तेय,ब्रहचर्य और अपरिग्रह को यम कहा गया है।
नियम- ” शौचसंतोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः”
शौच, संतोष, तप स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान ये पांच नियम कहे है।
आसन- ” स्थिर सुखमासनम्”
जो स्थिर एवं सुखदायक हो वह आसन कहा है।
मोटे तौर पर योगासनों को तीन वर्गो में बांटा जा सकता है।
ध्यानात्मक आसन- यथा सिद्धासन, पद्मासन भद्रासन स्वस्तिकासन आदि।
विश्रांतिकर आसन- शवासन, दण्डासन, मकरासन आदि।
शरीर संवर्धनात्मक आसन- सिंहासन, गोमुकासन धनुरासन आदि
प्राणायाम- ”तस्मिन् सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेदः प्राणायामः”
आसन के स्थिर हो जाने पर श्वास प्रश्वास की गति को रोकना प्राणायाम कहा गया है।
यह बाह्यवृति, आभ्यान्तरवृति और स्तम्भवृति तीन प्रकार का कहा गया है।
प्रत्याहार-” स्वविषयासम्प्रयोगे चित्तस्य स्वरूपानुकार इवेन्द्रियाणां प्रत्याहारः”
अपने विषयो के साथ सम्बन्ध न होने पर चित्त के स्वरूप का अनुसरण करना इन्द्रियों का प्रत्याहार कहलाता है।
धारणा-” देशबन्धशिचत्तस्य धारणा”
चित्त (मन) का वृत्ति मात्र से किसी स्थान विशेष में बांधना धारणा कहलाता है।
ध्यान- ”तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम्”
उस (धारणा) में वृत्ति का एक सा बना रहना ध्यान कहलाता है।
समाधि- ” तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरूपशून्यमिव समाधिः”
जब केवल ध्येय ही अर्थ मात्र से भासता है और उसका स्वरूप शून्य हो जाता है वह ध्यान ही समाधि कहलाता है।
उपरोक्त प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि उत्तरोत्तर श्रेष्ठतर अवस्थाएं है।
प्राकृतिक चिकित्सा सेवा
प्राकृतिक चिकित्सा न केवल उपचार की पद्धति है, अपितु यह एक जीवन पद्धति है । इसे बहुधा औषधि विहीन उपचार पद्धति कहा जाता है। यह मुख्य रूप से प्रकृति के सामान्य नियमों के पालन पर आधारित है। जहॉ तक मौलिक सिद्धांतो का प्रश्न है इस पद्धति का आयुर्वेद से निकटतम सम्बन्ध है।
प्राकृतिक चिकित्सा के समर्थक खान-पान एवं रहन सहन की आदतों, शुद्धि कर्म, जल चिकित्सा, ठण्डी पट्टी, मिटटी की पट्टी, विविध प्रकार के स्नान, मालिश तथा अनेक नई प्रकार की चिकित्सा विधाओं पर विशेष बल देते है।
मिट्टी चिकित्साः-
मिट्टी जिसमें पृथ्वी तत्व की प्रधानता है जो कि शरीर के विकारों विजातीय पदार्थो को निकाल बाहर करती है। यह कीटाणु नाशक है जिसे हम एक महानतम औषधि कह सकते है।
मिट्टी की पट्टी का प्रयोगः-
उदर विकार, विबंध, मधुमेह, शिर दर्द, उच्च रक्त चाप ज्वर, चर्मविकार आदि रोगों में किया जाता है। पीडित अंगों के अनुसार अलग अलग मिट्टी की पट्टी बनायी जाती है।
वस्ति (एनिमा):-
उपचार के पूर्व इसका प्रयोग किया जाता जिससे कोष्ट शुद्धि हो। रोगानुसार शुद्ध जल नीबू जल, तक्त, निम्ब क्वाथ का प्रयोग किया जाता है।
जल चिकित्साः-
इसके अन्तर्गत उष्ण टावल से स्वेदन, कटि स्नान, टब स्नान, फुट बाथ, परिषेक, वाष्प स्नान, कुन्जल, नेति आदि का प्रयोग वात जन्य रोग पक्षाद्घात राधृसी, शोध, उदर रोग, प्रतिश्याय, अम्लपित आदि रोगो में किया जाता है।
सूर्य रश्मि चिकित्साः-
सूर्य के प्रकाश के सात रंगो के द्वारा चिकित्सा की जाती है।यह चिककित्सा शरीर मे उष्णता बढाता है स्नायुओं को उत्तेजित करना वात रोग,कफज,ज्वर,श्वास,कास,आमवात पक्षाधात, ह्रदयरोग, उदरमूल, मेढोरोग वात जन्यरोग,शोध चर्मविकार, पित्तजन्य रोगों में प्रभावी हैं।
उपवास-
सभी पेट के रोग, श्वास, आमवात, सन्धिवात, त्वक विकार, मेदो वृद्धि आदि में विशेष उपयोग होता है।
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय व औषधालय की सूची

आपदा से क्षतिग्रस्त जनजीवन को पटरी पर लाने जीवनचर्या में बदलाव लाएगा जैन समाज
आपदा से क्षतिग्रस्त जनजीवन को पटरी पर लाने जीवनचर्या में बदलाव लाएगा जैन समाज
0 जैन संवेदना ट्रस्ट समेत जैन समाज के विभिन्न संगठनों ने किया एक जूम एप मीटिंग में विमर्श
रायपुर. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की विकट आपदा ने पिछले वर्ष से लेकर अब तक सामाजिक जनजीवन को बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया है. इससे जन-धन की क्षति तो हुई ही है, लोगों के मन पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है. तन को स्वस्थ रखने के लिए सबसे पहले मन का स्वस्थ होना आवश्यक है. स्वस्थ तन के माध्यम से ही व्यक्ति आरोग्य, सम्पदा व सुख-शांति प्राप्त कर पाता है. क्षतिग्रस्त जनजीवन को सुख-शांति व आरोग्य, सम्पदा की पटरी पर पुन: लाने के लिए जैन समाज के विभिन्न संगठनों ने आज रविवार को एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया. जिसमें प्रमुख रूप से जैन संवेदना ट्रस्ट सहित भगवान महावीर जन्मकल्याण महोत्सव समिति-2021, सकल जैन समाज , उवसग्गहरम तीर्थ , कच्छी दशा ओसवाल जैन समाज , छत्तीसगढ़ जैन युवा श्री संघ , जैन सेवा समिति , जीतो लेडिस विंग बी जे एस और जैन समाज के विभिन्न संगठनों की भागीदारी रही.
आपदा काल में समाज के हर वर्ग के परिवारों में हुई जन-धन व आरोग्य की क्षति से उबरने परिस्थिति अनुरूप जीवनशैली में क्या बदलाव लाएं जाएं यह इस जूम एप मीटिंग का प्रमुख विषय रहा. जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने कहा- इस संकट की घड़ी में अनेक परिवार विपदाग्रस्त हुए, जन और धन की हानि का सामना करना पड़ा. बीती ताही बिसार दे-आगे की सुधि ले इस सोच पर केंद्रित होकर अब हमें अपनी परम्परागत जीवन शैली में परिस्थिति अनुरूप आंशिक बदलाव लाना नितांत आवश्यक है. भगवान महावीर जन्मकल्याणक महोत्सव समिति के संरक्षक गजराज पगारिया व अध्यक्ष महेन्द्र कोचर ने इस दौरान सामाजिक सरोकार के तहत पृथक से एक सामाजिक गाइडलाइन बनाने की जरूरत पर बल दिया. उनके इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए सभी ने अपनी सहमति प्रदान की. जिसके तहत यह निर्णय लिया गया कि सामाजिक सरोकार के तहत बनाई गई इस सामाजिक गाइडलाइन का पालन शासन के लॉकडाउन-अनलॉक की प्रक्रिया समाप्त होने और शासकीय गाइडलाइन की अनिवार्यता खत्म होने के बाद भी आगामी लम्बे समय तक किया जाए.
सामाजिक गाइडलाइन के तहत लिए गए कई निर्णय
महोत्सव समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोचर व महासचिव चंद्रेश शाह ने बताया कि सभी संगठन प्रमुखों के विचारों पर मंथन करने के बाद सर्व सहमति से बनाई गई सामाजिक गाइडलाइन के तहत जनजीवन की बेहतरी के लिए अनेक प्रभावी निर्णय लिए गए. जिनमें प्रमुख रूप से
1. शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्यक्रमों में व्यक्तियों की संख्या सीमित अर्थात् 50 व्यक्तियों से ज्यादा संख्या नहीं होगी.
2. अंतिम संस्कार सहित उठावना, शोक मिलन के कार्यक्रम केवल परिजनों के बीच ही संपन्न किए जाएंगे.
3. तेरहवीं पर मृत्यु भोज या सामाजिक सामूहिक मिलन का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाए. इसके स्थान पर शोक संवेदनाएं व संदेश फोन अथवा सोशल मीडिया के माध्यम से स्वीकार किए जाने की अपील की जाए.
4. जन्म दिन, विवाह वर्षगांठ के कार्यक्रम भी सादगीपूर्ण मनाया जाए.
5. बच्चे के जन्म से पहले के गोद भराई और जन्म के बाद के कार्यक्रम भी परिजनों के बीच ही कराए जाने की अपील की जाए.
6. सामाजिक कार्यक्रमों के तहत जुलूस-जलसे इनमें भी किसी प्रकार का कोई आडम्बर न करते हुए केवल सांकेतिक रूप से परम्परा का निर्वहन करने का निर्णय लिया गया. सीमित संख्या में लोगों की उपस्थिति में ये कार्यक्रम बिना किसी बैंड-बाजे, ढोल के ही संपन्न कराए जाएं.
7. धार्मिक अनुष्ठान भी केवल घर-घर में ही हों, सार्वजनिक रूप से आयोजन न किया जाए.
जूम एप मीटिंग में गजराज पगारिया , महेन्द्र कोचर, विजय चोपड़ा सहित प्रमुख रूप से कमल भंसाली, चंद्रेश शाह, प्रवीण जैन, मोती जैन ,कुसुम श्रीश्रीमाल , रेणु गोलछा , महावीर कोचर ने अपने विचार रखे. साथ ही वक्ताओं ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि यह सामाजिक गाइडलाइन हमारे परिवारों व समाज की सुरक्षा और बेहतरी के लिए बनाई गई है. जिसके तहत लिए गए निर्णय मूल रूप में समाज की सामूहिक अपील है.जैन समाज के विभिन्न पदाधिकारियों से चर्चा कर आम सहमति बनाई जावेगी । विजय चोपड़ा व कमल भंसाली ने कहा कि समाजहित की इस अपील को अपने निजी जीवन में कड़े नियम के तौर पर लिया जाए. साथ ही यह भी कहा गया कि इस सामाजिक गाइडलाइन का पालन शासकीय गाइडलाइन के निष्प्रभावी होने के बाद भी जब तक आपदा अथवा संकट काल पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता, तब तक किया जाता रहेगा.