छत्तीसगढ़ टास्कफोर्स के जवान ने दिया मल्लखम्ब को एक नया आयाम

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भारत का प्राचीन युद्ध कला खेल मल्लखम्ब छत्तीसगढ़ में तेजी से हो रहा लोकप्रिय

भारत में 1962 में पहली बार मलखम की राष्ट्रीय चैंपियनशिप उज्जैन में जिम्नास्टिक फेडरेशन द्वारा आयोजित कराई गई और 1982 में मल्लखम्ब फेडरेशन का गठन हुआ। 1982 से आज तक राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन मल्लखम्ब फेडरेशन द्वारा किया जा रहा है, यह खेल प्रमुखतः महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल, पॉन्डिचेरी, गुजरात, राज्यस्थान, आदि जगहों पर अच्छी तरह से विकसित हुआ है। वर्ष 2019 फरवरी माह में पहली वार्ड चैंपियनशिप का आयोजन महाराष्ट्र के मुम्बई शहर के दादर शिवाजी पार्क में आयोजन की गई, जहां 17 देशों के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिसमें प्रमुख रूप से जपान, अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस आदि देश भी शामिल हुए। इसके बाद अब मलखम का 2021 में द्वितीय विश्व चैंपियनशिप अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में आयोजन होगा। इसके अतिरिक्त साउथ एशिया भी 2021 में होना प्रस्तावित है। छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस के अध्यक्ष अधि. प्रवीण जैन ने प्रदेश में मलखम्ब के विकास और मान्यता के लिए प्रदेश सरकार को पत्र भेजा है और इस खेल के प्रशिक्षण मनोज प्रसाद से मलखम्ब खेल के विषय पर सम्पूर्ण जानकारी एकत्र की है।
छत्तीसगढ़ में मल्लखम्ब खेल जिला नारायणपुर, बिलासपुर, सरगुजा, रायपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा जैसे जिलों में कई वर्षों से सुचारू रूप खेला जा रहा है और यहां बड़ी संख्या में खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ मल्लखम्ब संघ बिलासपुर से संचालित होता है। वर्तमान में मल्लखम्ब खेल के सबसे ज़्यादा खिलाड़ी नारायणपुर जिले से आते हैं, मनोज प्रसाद मल्लखम्ब प्रशिक्षक नारायणपुर द्वारा 2017 से 4 बच्चों से मल्लखम्ब का प्रशिक्षण प्रारम्भ किया और अब इनके पास लगभग 400 सौ खिलाड़ी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, जिसमे 150 बालिकाएं भी हैं, जिसमें प्रत्येक वर्ष 50 से 60 मलखम खिलाड़ी राष्ट्रीय स्पर्धाओं में हिस्सा लेते हैं। 4-5 नवम्बर 2019 को राष्ट्रीय स्तर के खेल में छत्तीसगढ़ को पहला स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ जो नारायपुर जिले के खिलाड़ी राजेश कोर्राम ने दिलाया, फिर उसके बाद 5-7 मार्च 2020 को आयोजित 32 वी राष्ट्रीय मल्लखम्ब प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों ने इतिहास बना दिया और जूनियर टीम ने चैंपियनशिप के साथ साथ 8 स्वर्ग पदक और 3 कास्य पदक जीत कर 40 वर्षों के महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के खिलाड़ियों के एकाधिकार को मात दे कर एतिहासिक जीत दर्ज की। इस प्रतियोगिता में 20 खिलाड़ी नारायणपुर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र से थे जिन्होंने 10 से ज्यादा पदक दिलाया।

मल्लखम्ब खेल
योगा, जिम्नास्टिक एवं एक्रोबेटिक से मिलकर बना है, इस खेल की तीन तरह की प्रतियोगिताएं होती है:-

(01) पोल मल्लखम्ब
(02) रोप मल्लखम्ब
(03) हैंगिंग मल्लखम्ब

खिलाड़ियों इन तीनो पर अपना सर्वश्रेष्ठ आशनों को प्रदर्शित करना होता है। जिसमें खिलाड़ी को सिर्फ 90 सेकंड का समय मिलता है, जिसमें खिलाड़ी को माउंट, डिसमॉन्ट, एक्रोबेटिक, डिफिकल्ट के साथ उसे 16 एलिमेंट करना होता है यह खेल सिर्फ 10 अंक का होता है जिसमे खिलाड़ि को सर्वश्रेष्ठ नम्बर उठाना होता है। खिलाड़ी का हर गलती पर नम्बर कट जाता है। इस खेल में 7 निर्णायक होते हैं।

छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस 7771001701, छत्तीसगढ़ खेल महासंघ 93294984701

उपरोक्त नम्बरों में अपने क्षेत्र के खेल की सम्पूर्ण जानकारी आप भेज सकते हैं जिसे हम प्रसारित करेंगे।

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