मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का खेल प्रेम…छत्तीसगढ़ के खेल जगत को नया आयाम!

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मुख्यमंत्री का खेल प्रेम…छत्तीसगढ़ के खेल जगत को नया आयाम!

साकार होता ’खेलबो जीतबो गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का नारा

खेल किसी भी राज्य और राष्ट्र को नई पहचान दिलाते हैं। खेलों के आयोजन और अधोसंरचनाओं से लेकर खिलाड़ियों की राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियों तक, राज्य का भी गौरव बढ़ता है। राज्य को खेल जैसे दमखम वाले क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खेल क्षितिज में गौरवान्वित करने में सबसे अहम भूमिका सरकार की होती है और इस भूमिका को निभाने में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कोई सानी नहीं है। वे स्वयं छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष भी हैं। खेलों के मुखिया के तौर पर छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक खेलों से लेकर विधिवत खेले जाने वाले ओलंपिक खेलों तक, उन्होंने अनेक नए अध्याय लिखे हैं।

शुरुआत करते हैं नारे से…
नारों की महत्ता से सभी अवगत हैं। इतिहास गवाह है नारों ने यदि तख्त पलटा है तो लोगों को प्रेरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री बघेल नारों के महत्व से स्वाभाविक रूप से अवगत हैं। उन्होंने खेलों के प्रति युवाओं में उत्साह जगाने के और छत्तीसगढ़ में खेलों को बढ़ावा देने के लिए ’खेलबो जीतबो गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ नारा दिया। इस नारे के अनुरूप कार्य भी कर दिखाए जो खेलों को नया आयाम दे सकें।

छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण का गठन
राज्य निर्माण के बाद से छत्तीसगढ़ में खेलों की बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण की मांग समय-समय पर उठती रही। छत्तीसगढ़ क्रीड़ा परिषद की भी मांग की जाती रही। तीन वर्ष पूर्व श्री बघेल के प्रयासों से छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण का गठन किया गया। इस प्राधिकरण का पंजीकरण सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के तहत कराया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस प्राधिकरण के अध्यक्ष और खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश कुमार पटेल उपाध्यक्ष हैं। राज्य सरकार के सभी मंत्रियों को इसका पदेन सदस्य बनाया गया है। वहीं प्रमुख सचिव को प्राधिकरण के संयोजक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य खेल क्षेत्र में नितिगत निर्णय, खेल से जुड़े विभागों से समन्वय और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजनों के संबंध में निर्णय के साथ ही केंद्र सरकार की खेल विकास योजनाओं के अंतर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करना है। इसके अलावा शिक्षा व खेलों में समन्वय स्थापित करना शामिल है। प्राधिकरण कॉर्पाेरेट सामाजिक उत्तरदायित्व व अन्य क्षेत्रों से प्राप्त वित्त का खेल क्षेत्र के विकास में उपयोग करेगा।

खेलो इंडिया के आधा दर्जन से ज्यादा सेंटर खोले गए।
एक समय वह भी था जब छत्तीसगढ़ में भारतीय विकास प्राधिकरण अर्थात साई के एक सेंटर के लिए भी खेल प्रेमियों को इंतजार करना पड़ता था। मुख्यमंत्री श्री बघेल प्रयासों से ही भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा छत्तीसगढ़ में खेलो इंडिया स्कीम के तहत सात खेलो इंडिया केन्द्रों की स्थापना की मंजूरी दी गई। भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आर्चरी और हॉकी के लिए दो-दो केन्द्रों, वॉलीबाल, मलखम्ब और फुटबाल के लिए एक-एक केन्द्र की मंजूरी दी गई। इन केन्द्रों में संबंधित खेलों के छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों का चयन कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कोचों के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन केन्द्रों की स्थापना के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा। श्री बघेल ’छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को अपनी खेल प्रतिभा को निखारने का अच्छा मौका मिलेगा। आने वाले समय में ये खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश और देश का नाम रौशन करेंगे। यह ‘खेलबो जीतबो गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ की परिकल्पना को साकार करने में एक और सार्थक कदम सिद्ध हुआ है।’ शिवतराई बिलासपुर में तीरंदाजी सेंटर, बीजापुर में तीरंदाजी सेंटर, राजनांदगांव में हॉकी सेंटर, जशपुर में हॉकी सेंटर, गरियाबंद में व्हॉलीबॉल सेंटर, नारायणपुर में मलखम्भ सेंटर और सरगुजा में फुटबॉल खेल की खेलो इण्डिया सेंटर प्रारंभ करने की स्वीकृति भारतीय खेल प्राधिकरण से मिली। प्रदेश के सभी खेल अकादमियों के संचालन, खेल अधोसंरचनाओं का विकास एवं समुचित उपयोग तथा खेलों के समग्र विकास हेतु छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। खेलों को बढ़ावा देने समेत संबंधित अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए प्राधिकरण के गवर्निंग बॉडी और एक्जिक्यूटिव बॉडी की बैठकें भी हो चुकी हैं। इसके साथ ही खेल प्रशिक्षकों के 08 पदों पर संविदा भर्ती की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है। वर्तमान में 15 खेल संघ विभाग से मान्यता प्राप्त हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1.43 करोड़ रुपये अनुदान राशि भी जारी किया गया है। वहीं व्यायाम शाला निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में 40.17 लाख रुपये की राशि जारी की गई है।

राजीव युवा मितान क्लब का गठन :
छत्तीसगढ़ राज्य की युवा शक्ति को मुख्य धारा से जोड़कर, गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से राजीव युवा मितान क्लब योजना प्रारंभ की गई। इसमें प्रदेश के प्रत्येक ग्राम पंचायत एवं नगरीय निकायों के वार्डों में कुल 13269 राजीव युवा मितान क्लब गठित किए जाने का लक्ष्य है। अब तक कुल 9917 युवा मितान क्लबों का गठन हो चुका है। प्रति क्लब 25 हजार रुपये प्रति तिमाही दिए जाने का प्रावधान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 33.325 करोड़ रुपये जिलों को जारी कर दिए गए हैं। राजीव युवा मितान क्लब से जुड़कर युवा खेल, सांस्कृतिक, सामाजिक गतिविधियों एवं जन-जागरूकता बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

आवासीय खेल अकादमी का संचालन :
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात् पहली बार खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा आवासीय खेल अकादमी का संचालन प्रारंभ किया गया है। स्व. बी.आर. यादव राज्य खेल प्रशिक्षण केन्द्र बहतराई बिलासपुर में हॉकी, तीरंदाजी एवं एथलेटिक की आवासीय अकादमी की स्थापना की गई है, जिसे भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा खेलो इंडिया स्टेट सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस की मान्यता दी गई है। एक्सीलेंस सेन्टर के लिए मैनपॉवर के हाई परफॉर्मेंस मैनेजर, हेड कोच हॉकी, स्ट्रैंथ एण्ड कंडिशनिंग एक्सपर्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, यंग प्रोफेशनल एवं मसाजर (महिला) की नियुक्ति की जा चुकी है तथा शेष की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है। गौरतलब है कि 1 जून 2022 से हॉकी की आवासीय अकादमी संचालित है, जिसमें 36 बालक एवं 24 बालिकाएं इस तरह कुल 60 खिलाड़ी प्रशिक्षणरत् हैं। तीरंदाजी तथा एथलेटिक खेल की अकादमी के लिए खिलाड़ियों के चयन ट्रायल लिए जा चुके हैं। आवासीय बालिका कबड्डी अकादमी में प्रवेश हेतु खिलाड़ियों के चयन ट्रायल लिए जा चुके हैं। इसके साथ ही रायपुर में एनएमडीसी लिमिटेड के सहयोग से आवासीय तीरंदाजी अकादमी की स्थापना की जा रही है।

गैर आवासीय खेल अकादमी की भी स्थापना :
छत्तीसगढ़ में खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राज्य के खिलाड़ियों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि राज्य का खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर पदक जीत सकें। राज्य के प्रत्येक जिले में विभिन्न खेलों की गैर आवासीय खेल अकादमियां स्थापित करने का लक्ष्य है। वर्तमान में तीरंदाजी प्रशिक्षण उपकेन्द्र शिवतराई (बिलासपुर), गैर आवासीय हॉकी एवं तीरंदाजी अकादमी, सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम रायपुर, गैर आवासीय बालिका फुटबॉल अकादमी स्वामी विवेकानन्द स्टेडियम कोटा रायपुर, गैर आवासीय बालक एवं बालिका एथलेटिक अकादमी स्वामी विवेकानन्द स्टेडियम कोटा रायपुर का संचालन किया जा रहा है।

खेलों के लिए बनेंगे सात लघु केन्द्र :
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा खेलों को बढ़ावा देने के लिए की जा पहल के बीच छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से भारत सरकार की खेलो इंडिया योजना अंतर्गत विभिन्न खेलों के लिए सात लघु केन्द्र स्वीकृत किए गए हैं। इसमें जशपुर में हॉकी, बीजापुर में तीरंदाजी, राजनांदगांव में हॉकी, गरियाबंद में व्हॉलीबॉल, नारायणपुर में मलखम्ब, सरगुजा में फुटबॉल एवं बिलासपुर में तीरंदाजी के लिए खेल लघु केन्द्र की स्वीकृति मिली है। प्रत्येक लघु केन्द्र के लिए सात लाख रुपये के मान से कुल राशि 49 लाख रुपये संबंधित जिला कलेक्टरों को जारी किए जा चुके हैं। खेलो इंडिया लघु केन्द्र के माध्यम से स्थानीय सीनियर खिलाड़ी को प्रशिक्षक के रूप में रोजगार भी उपलब्ध कराया जाएगा।

सिंथेटिक टर्फ और ट्रैक का निर्माण :
जब से छत्तीसगढ़ में खेल को लेकर राज्य सरकार ने प्रयास तेज किए हैं, केन्द्र की ओर से भी इसमें स्वीकृति दी जा रही है। भारत सरकार की खेलो इंडिया योजना अंतर्गत जशपुर में सिंथेटिक टर्फ युक्त हॉकी मैदान के लिए 5.44 करोड़ रुपये, अम्बिकापुर में मल्टीपरपज इंडोर हॉल के लिए 4.50 करोड़ रुपये, जगदलपुर बस्तर में सिंथेटिक फुटबॉल ग्राउण्ड विथ रनिंग ट्रैक के लिए 05 करोड़ रुपये, महासमुंद में सिंथेटिक सतह युक्त एथलेटिक ट्रैक निर्माण के लिए 6.60 करोड़ की स्वीकृति प्राप्त हुई है। वहीं जगदलपुर बस्तर में निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। उल्लेखनीय है कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स में छत्तीसगढ़ राज्य के खिलाड़ियों ने बेहतर प्रदर्शन कर 2 स्वर्ण, 3 रजत और 6 कांस्य पदक, इस प्रकार कुल 11 पदक हासिल किये हैं।

खेल कौशल के आधार पर चिन्हांकन
प्रदेश के हर जिले में अलग-अलग खेल कौशल देखने को मिलता है। इसी के मद्देनजर अलग-अलग जिलों में खेलों की बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। राजनांदगांव और जशपुर प्रारंभ से ही हॉकी की नर्सरी के रूप में विख्यात है, इन शहरों ने हॉकी के कई खिलाड़ी दिए हैं, अब नई पीढ़ी को बेहतर प्रशिक्षण देकर उन्हें एक नया अवसर प्रदान किया जाएगा। बस्तर क्षेत्र अब तक खेलों में उपेक्षित रहा था, इन क्षेत्रो में मुख्यमंत्री के निर्देश पर खेलों के विकास के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं, खेलो इण्डिया सेंटर की स्वीकृति इसका उदाहरण है। नारायणपुर में मलखम्भ की विशेष प्रतिभाओं के देखकर मुख्यमंत्री ने अकादमी कौ सौगात दी। सरगुजा में फुटबॉल के खिलाड़ियों के लिए एक नया अवसर सृजित कर खिलाड़ियों को सौंगात दी गई है। उम्मीद है कि भविष्य में राज्य के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का नाम रौशन करेंगे।

नये खिलाड़ियों को अवसर
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने नवोदित खिलाड़ियों में खेल के प्रति अधिक रूचि पैदा करने और खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से उन्हें अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से प्रदेश में ’खेल प्रतियोगिता 2022’ आयोजित करने की विशेष पहल की। खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा यह प्रतियोगिता ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में प्रत्येक विकासखण्ड स्तर एवं जिला स्तर पर आयोजित की जाएगी। बालक एवं बालिका वर्ग के लिए सब जूनियर और जूनियर कैटेगरी में खेल प्रतियोगिता आयोजित होगी। प्रतियोगिता में विजेता दल और खिलाड़ियों को पारितोषिक-प्रोत्साहन स्वरूप खेल सामग्री प्रदान की जाएगी।
विकासखण्ड स्तर पर दलीय खेलों के अंतर्गत हॉकी, फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट तथा एथलेटिक, बैडमिंटन एवं कुश्ती खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। जिला स्तर पर दलीय खेलों के अंतर्गत हॉकी, फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट सहित दो छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेल तथा एथलेटिक, बैडमिंटन और कुश्ती सहित दो छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित की जायेंगी।

राजधानी को खेल मैदान की सौगात
राजधानी को खेल मैदान की भी सौगात दी गई। रायपुर शहर के मध्य में नगर निगम के खेल मैदान के उन्नयन की जरूरत काफी लंबे समय महसूस की जा रही थी। रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 2 करोड़ 62 लाख रूपए की लागत से नगर निगम खेल मैदान का जीर्णाेद्वार किया। अब इस मैदान में दर्शकों के बैठने की उत्तम व्यवस्था के साथ ही रात्रिकालीन लाइट की व्यवस्था भी कर दी गई। इन सुविधाओं के विस्तार से खिलाड़ियों को खेल का बेहतर माहौल मिलेगा जिससे खेल प्रतिभाओं में निखार आएगा।

बस्तर को फीफा अप्रूव ग्राउंड की सौगात
प्रदेश के दूरस्थ इलाके बस्तर की खेल प्रतिभाओं के विकास के लिए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाये। श्री बघेल के प्रयासों से बस्तर को फीफा अप्रूव ग्राउंड की सौगात मिली। यह छत्तीसगढ़ का पहला फीफा एप्रूव्ह सिंथेटिक फुटबाल ग्राउंड विथ रनिंग ट्रैक है। जगदलपुर के प्रियदर्शिनी इंदिरा स्टेडियम के फुटबाल मैदान को फीफा ने अंतर्राष्ट्रीय मानक का प्रमाण-पत्र जारी किया है। इस वर्ष जगदलपुर प्रियदर्शिनी इंदिरा स्टेडियम में श्री बघेल ने 56.42 करोड़ 27 विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन किया। श्री बघेल की मौजूदगी में बस्तर में ग्रास रूट लेबल पर सामुदायिक फुटबॉल को और अधिक लोकप्रिय बनाने ओडिशा भुवनेश्वर की आर्डाेर फुटबॉल अकादमी, बस्तर जिला फुटबॉल संघ तथा बस्तर जिला प्रशासन के बीच एमओयू किया गया। इससे बस्तर के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक मिल सकेंगे। खेल की बारीकियां सीखने के बाद खिलाड़ी छत्तीसगढ़ के साथ देश का नाम रौशन करेंगे।

भावी पीढ़ी को खेलों की प्रेरणा
मुख्यमंत्री श्री बघेल भावी पीढ़ी को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने उनके साथ खेलों में उत्साह के साथ हिस्सा लेते हैं। जशपुर के कुनकरी का ही उदाहरण ले लीजिए जब वे प्रवास के दौरान आत्मानंद स्कूल के बच्चों के आग्रह पर पिठ्ठुल पर गेंद मारी, इस दौरान उन्होंने पहले ही थ्रो में अचूक निशाना लगाते हुए पिठ्ठुल के सारे पत्थर गिरा दिए, जिसे देख मुख्यमंत्री और बच्चों सहित संग उपस्थित सभी लोग खिलखिला कर हंस पड़े। श्री बघेल ने पांचवी की छात्रा वैष्णवी, प्राची और अल्फिया के साथ सांप सीढ़ी खेलते हुए पासा फेंका तो उनके साथ कैरम की गोटी को भी स्ट्राइक किया। छात्रों को शतरंज के गुर बताए।

कोदूराम वर्मा धनुर्विधा अकादमी की स्थापना
स्वः कोदूराम वर्मा छत्तीसगढ़ के धनुर्विद्या के महारथी रहे हैं। उनके योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता। बिलासपुर के अलावा रायपुर में सरदार वल्लभभाई पटेल अंतराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम परिसर में स्वर्गीय कोदुराम वर्मा धनुर्विधा आवासीय अकादमी की स्थापना की गई है। दोंनो आवासीय अकादमी में खिलाड़ियों को निःशुल्क भोजन, खेल प्रशिक्षण, छात्रवृत्ति एवं बीमा के साथ-साथ शिक्षा की भी व्यवस्था की गई है। इन आकदमियों के लिए खिलाड़ियों के साथ अन्य कर्मचारियों की भर्ती की गई।

फुटबाल और टेनिस अकादमी
इसी तरह रायपुर के स्वामी विवेकानंद स्टेडियम में गैर आवासीय बालिका फुटबाल अकादमी एवं गैर अवासीय बालक-बालिका एथलेटिक अकादमी तैयार की गई है। टेनिस खेल के लिए राज्य में बेहतर सुविधा विकसित हो इसके लिए लाभांडी रायपुर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के टेनिस स्टेडियम एवं अकादमी का निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए 17 करोड़ 75 लाख से अधिक की राशि स्वीकृत की जा चुकी है।

खेल जगत को बुनियादी सुविधाओं का उपहार
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अलावा बिलासपुर, राजनांदगांव और जशपुर में अंतराष्ट्रीय स्तर के हॉकी स्टेडियम बन कर तैयार है. खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत एक करोड़ रूपये की प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। राज्य में खेलों के विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में विभागीय मान्यता प्राप्त खेल संघ एवं संस्थाओं को एक करोड़ 30 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। इसी तरह वर्ष 2021-22 में नवंबर माह तक लगभग 60 लाख रूपए की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। दुर्ग जिलें में जूडो अकादमी भवन निर्माण की स्वीकृति भी दी गई है। महासमुंद में 6 करोड़ 60 लाख की लागत से सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक निर्माण, अंबिकापुर में 4 करोड़ 50 लाख की लागत से बनने वाली मल्टीपरपज इण्डोर हाल के निर्माण की स्वीकृति एवं बस्तर के इंदिरा प्रियदर्शनी स्टेडियम में 5 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाली सिंथेटिक टर्फ फुटबाल मैदान गाथ की रनिंग ट्रेक निर्माण की स्वीकृति भारत सरकार से मिल चुकी है।
श्री बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में खेल अधोसंरचना और विभिन्न खेल सुविधाओं की बढ़ोतरी के लिए अनेक कार्य किए गए हैं। बिलासपुर के बहतराई में स्वर्गीय बी.आर. यादव के नाम से संचालित खेल अकादमी में एथलेटिक्स, आर्चरी एवं हॉकी के लिए आवासीय प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई गई है ताकि खेलों के प्रति युवाओं का उत्साह बढ़े। राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों भौरा, गेड़ी दौड़ और फुगड़ी सहित अन्य खेलों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। युवा उत्सव के दौरान प्रदेश की राजधानी सहित जिलों में पारंपरिक खेलों का भी आयोजन किया जाता है।

पेशेवर मुक्केबाजी से छत्तीसगढ़ को खेलगढ़ में बदलने की तैयारी
मुख्यंत्री श्री बघेल के प्रयासों से ही छत्तीसगढ़ में अनेक राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय खेलों के आयोजन सहित पेशेवर मुक्केबाजी का भी रोमांच देखने को मिला। 17 अगस्त को राजधानी के बलवीर सिंह जुनेजा स्टेडियम में ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी मुकाबले ’द जंगल रंबल’ का आयोजन किया गया जिसमें भारत के ओलंपियन मुक्केबाज विजेंदर सिंह और घाना के एलियासु सुले ने हिस्सा लिया। विजेंदर सिंह ने यह मुकाबला जीता और छत्तीसगढ़ में खेलों की अपार संभावनाएँ बताई। श्री बघेल के अनुसार, ’’पेशेवर मुक्केबाजी छत्तीसगढ़ को खेलगढ़ में बदलने का माध्यम बनेगी। छत्तीसगढ़ को एक खेल राज्य ख़ेलगढ़ के रूप में स्थापित करने का प्रयास जारी है। मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह की पेशेवर लड़ाई इस योजना को और मजबूत करेगी। हमें न केवल लोगों को प्रोत्साहित करना है बल्कि छत्तीसगढ़ को खेल की महाशक्ति के रूप में पहचान दिलाने के लिए भी तैयारी करनी है।’’
इस वर्ष 8 जून को प्रोफेशनल मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने मुख्यमंत्री श्री बघेल से मुलाकात की थी और छत्तीसगढ़ में प्रोफेशनल बाक्सिंग मैच का आयोजन करने के लिए अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री ने इस अनुरोध को स्वीकार किया था विजेंदर सिंह लगभग 19 महीनों के बाद रिंग में उतरे । इसके लिए उन्होंने मैनचेस्टर में कड़ी ट्रेनिंग ली। विजेंदर सिंह ने वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।

छत्तीसगढ़ में शतरंज ओलंपियाड टॉर्च रिले की सफल मेजबानी की गई। शतरंज ओलंपियाड के 95 साल के इतिहास में भारत को पहली बार 44वें शतरंज ओलंपियाड की मेजबानी मिली। यह भारत में आयोजित होेने वाला अब तक का सबसे बड़ा खेल आयोजन था जिसमें 187 देशों ने हिस्सा लिया। इसका आयोजन 26 जुलाई से 8 अगस्त 2022 तक चेन्नई में किया गया। इसके पूर्व आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव के अंतर्गत देश के 75 शहरों में 19 जून से 28 जुलाई तक शतरंज ओलंपियाड टॉर्च रिले आयोजित की गई। यह टॉर्च रिले नई दिल्ली से शुरू होकर अलग अलग राज्यों का भ्रमण करते हुए 16 जुलाई को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंची। अर्जुन पुरस्कार प्राप्त ग्रैंडमास्टर प्रवीण थिप्से ने मशाल छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पंडित दीनदयाल उपाध्याय आडिटोरियम में सौंपी । बघेल ने मशाल महिला फिडे मास्टर किरण अग्रवाल को दी । बकौल बघेल,‘‘यह बहुत गर्व की बात है कि पहली बार ओलंपिक की तर्ज पर शतरंज ओलंपियाड की भी मशाल रिले आयोजित की गई है। यह मशाल आज राज्य में है और उदीयमान शतरंज खिलाड़ियों के लिये प्रेरणा का काम करेगी ।’’ उन्होंने 1986 और 1990 में शतरंज ओलंपियाड खेल चुकी अग्रवाल की तारीफ करते हुए कहा कि भावी पीढियों को उनसे प्रेरणा मिलेगी ।
वस्तुतः किसी भी राज्य में खेलों की बुनियादी सुविधाओं से लेकर खेल के आयोजनों और खिलड़ियों के विकास तक में राज्य के मुखिया की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। बीते चार साल में इस भूमिका के निवर्हन में मुख्यमंत्री श्री बघेल शत-प्रतिशत खरे उतरे हैं, इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है।

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