आपदा से क्षतिग्रस्त जनजीवन को पटरी पर लाने जीवनचर्या में बदलाव लाएगा जैन समाज

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आपदा से क्षतिग्रस्त जनजीवन को पटरी पर लाने जीवनचर्या में बदलाव लाएगा जैन समाज

0 जैन संवेदना ट्रस्ट समेत जैन समाज के विभिन्न संगठनों ने किया एक जूम एप मीटिंग में विमर्श

रायपुर. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की विकट आपदा ने पिछले वर्ष से लेकर अब तक सामाजिक जनजीवन को बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया है. इससे जन-धन की क्षति तो हुई ही है, लोगों के मन पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है. तन को स्वस्थ रखने के लिए सबसे पहले मन का स्वस्थ होना आवश्यक है. स्वस्थ तन के माध्यम से ही व्यक्ति आरोग्य, सम्पदा व सुख-शांति प्राप्त कर पाता है. क्षतिग्रस्त जनजीवन को सुख-शांति व आरोग्य, सम्पदा की पटरी पर पुन: लाने के लिए जैन समाज के विभिन्न संगठनों ने आज रविवार को एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया. जिसमें प्रमुख रूप से जैन संवेदना ट्रस्ट सहित भगवान महावीर जन्मकल्याण महोत्सव समिति-2021, सकल जैन समाज , उवसग्गहरम तीर्थ , कच्छी दशा ओसवाल जैन समाज , छत्तीसगढ़ जैन युवा श्री संघ , जैन सेवा समिति , जीतो लेडिस विंग बी जे एस और जैन समाज के विभिन्न संगठनों की भागीदारी रही.
आपदा काल में समाज के हर वर्ग के परिवारों में हुई जन-धन व आरोग्य की क्षति से उबरने परिस्थिति अनुरूप जीवनशैली में क्या बदलाव लाएं जाएं यह इस जूम एप मीटिंग का प्रमुख विषय रहा. जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने कहा- इस संकट की घड़ी में अनेक परिवार विपदाग्रस्त हुए, जन और धन की हानि का सामना करना पड़ा. बीती ताही बिसार दे-आगे की सुधि ले इस सोच पर केंद्रित होकर अब हमें अपनी परम्परागत जीवन शैली में परिस्थिति अनुरूप आंशिक बदलाव लाना नितांत आवश्यक है. भगवान महावीर जन्मकल्याणक महोत्सव समिति के संरक्षक गजराज पगारिया व अध्यक्ष महेन्द्र कोचर ने इस दौरान सामाजिक सरोकार के तहत पृथक से एक सामाजिक गाइडलाइन बनाने की जरूरत पर बल दिया. उनके इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए सभी ने अपनी सहमति प्रदान की. जिसके तहत यह निर्णय लिया गया कि सामाजिक सरोकार के तहत बनाई गई इस सामाजिक गाइडलाइन का पालन शासन के लॉकडाउन-अनलॉक की प्रक्रिया समाप्त होने और शासकीय गाइडलाइन की अनिवार्यता खत्म होने के बाद भी आगामी लम्बे समय तक किया जाए.

सामाजिक गाइडलाइन के तहत लिए गए कई निर्णय
महोत्सव समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोचर व महासचिव चंद्रेश शाह ने बताया कि सभी संगठन प्रमुखों के विचारों पर मंथन करने के बाद सर्व सहमति से बनाई गई सामाजिक गाइडलाइन के तहत जनजीवन की बेहतरी के लिए अनेक प्रभावी निर्णय लिए गए. जिनमें प्रमुख रूप से
1. शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्यक्रमों में व्यक्तियों की संख्या सीमित अर्थात् 50 व्यक्तियों से ज्यादा संख्या नहीं होगी.
2. अंतिम संस्कार सहित उठावना, शोक मिलन के कार्यक्रम केवल परिजनों के बीच ही संपन्न किए जाएंगे.
3. तेरहवीं पर मृत्यु भोज या सामाजिक सामूहिक मिलन का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाए. इसके स्थान पर शोक संवेदनाएं व संदेश फोन अथवा सोशल मीडिया के माध्यम से स्वीकार किए जाने की अपील की जाए.
4. जन्म दिन, विवाह वर्षगांठ के कार्यक्रम भी सादगीपूर्ण मनाया जाए.
5. बच्चे के जन्म से पहले के गोद भराई और जन्म के बाद के कार्यक्रम भी परिजनों के बीच ही कराए जाने की अपील की जाए.
6. सामाजिक कार्यक्रमों के तहत जुलूस-जलसे इनमें भी किसी प्रकार का कोई आडम्बर न करते हुए केवल सांकेतिक रूप से परम्परा का निर्वहन करने का निर्णय लिया गया. सीमित संख्या में लोगों की उपस्थिति में ये कार्यक्रम बिना किसी बैंड-बाजे, ढोल के ही संपन्न कराए जाएं.
7. धार्मिक अनुष्ठान भी केवल घर-घर में ही हों, सार्वजनिक रूप से आयोजन न किया जाए.
जूम एप मीटिंग में गजराज पगारिया , महेन्द्र कोचर, विजय चोपड़ा सहित प्रमुख रूप से कमल भंसाली, चंद्रेश शाह, प्रवीण जैन, मोती जैन ,कुसुम श्रीश्रीमाल , रेणु गोलछा , महावीर कोचर ने अपने विचार रखे. साथ ही वक्ताओं ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि यह सामाजिक गाइडलाइन हमारे परिवारों व समाज की सुरक्षा और बेहतरी के लिए बनाई गई है. जिसके तहत लिए गए निर्णय मूल रूप में समाज की सामूहिक अपील है.जैन समाज के विभिन्न पदाधिकारियों से चर्चा कर आम सहमति बनाई जावेगी । विजय चोपड़ा व कमल भंसाली ने कहा कि समाजहित की इस अपील को अपने निजी जीवन में कड़े नियम के तौर पर लिया जाए. साथ ही यह भी कहा गया कि इस सामाजिक गाइडलाइन का पालन शासकीय गाइडलाइन के निष्प्रभावी होने के बाद भी जब तक आपदा अथवा संकट काल पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता, तब तक किया जाता रहेगा.

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