आरएसएस-बीजेपी के इन नेताओं और कार्यकर्ताओं पर दंगा भड़काने, दंगा करने, डकैती और हत्या की कोशिश के आरोप में मामला दर्ज हुआ था।
आरएसएस-बीजेपी के इन नेताओं और कार्यकर्ताओं पर दंगा भड़काने, दंगा करने, डकैती और हत्या की कोशिश के आरोप में मामला दर्ज हुआ था। जो दिल्ली की अलग-अलग अदालतों में अब भी लंबित है।
इन FIR में जो सबसे बड़ा नाम शामिल है वो है राजकुमार जैन। FIR NO.- 446/93 और FIR NO.- 315/92 इन दोनों ही में राजकुमार का नाम है।
राजकुमार बड़ा नाम इसलिए है, क्योंकि ये संघ नेता होने के साथ-साथ हाल ही में चल बसे पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई का चुनाव एजेंट भी था। (02/02/2002 में छपे हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार में साफ़ देखा जा सकता है)
संघ के बड़े नेता नानाजी देशमुख ने सिखों के नरसंहार को न्याय के समक्ष सही ठहराया था। शम्सुल की मानें तो नानाजी देशमुख अपने एक दस्तावेज़ में लिखते हैं कि, भीड़ नहीं, बल्कि सिख बुद्धिजीवी नरसंहार के लिए जिम्मेवार हैं।
उन्होंने सिखों को खाड़कू समुदाय बना दिया है और हिन्दू मूल से अलग कर दिया है, इस तरह राष्ट्रवादी भारतीयों से हमले को न्यौता दिया है। यहां फिर वे सभी सिखों को एक ही गिरोह का हिस्सा मानते हैं और हमले को राष्ट्रवादी हिन्दुओं की एक प्रतिक्रिया।
इस तरह पित्रोदा के बयान के बाद कांग्रेस पर हमलावर बीजेपी और संघ के नेताओं को अपने गिरेहबान में झांककर देखने चाहिए कि दंगों के मामले में उनका इतिहास क्या रहा है।
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