भारतीय न्याय प्रक्रिया और कानून में मिले नागरिकों को मौलिक अधिकार व कर्तव्य

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  1. images (19)नागरिक का मौलिक कर्तव्य

प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे. भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे. देश की रक्षा करे. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका निर्माण करे. प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे. वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करे. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे. व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे. माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना (86वां संशोधन).

नागरिकों को सलाह
गैरकानूनी काम करने पर कानून की जानकारी नहीं होने का  बहाना नहीं बनाएं। अगर आपकी गलती से किसी को नुकसान होता है तो आप ये नहीं कह सकते हैं कि गैरइरादतन ऐसा हो गया।जैसे लापरवाही से गाड़ी चलाना । अगर आपको कोई काम गैरकानूनी लगता है तो कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश ना करें । केवल आत्मरक्षा में आवश्यक बचाव करें। किसी सरकारी कर्मचारी या अदालत के कानूनी आदेश/निर्देश/बुलावे(समन) को नहीं मानना या गलत जानकारी देना अपराध है। किसी अधिकारी या कर्मचारी से काम करवाने के लिए उसे उपहार या पैसा देना अपराध है। किसी दस्तावेज में कोई बदलाव ना करें या गलती ठीक करने की कोशिश नहीं करें । ऐसा करना अपराध माना जायेगा।

इन कामों में सावधानी बरतें
सिविलियन थल सेना , नौसेना और वायुसेना की ड्रेन ना पहनें और तमगे ना लगाएं। राष्ट्रीय ध्वज को सही तरीके से फहराएं औऱ रखें। ध्वज का अपमान ना करें। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान या नशा ना करें । महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार ना करें । झूठी धारणाएं और अफवाहें ना फैलाएं। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान ना पहुंचाएं।
सामान्य कानूनी प्रावधान
संविधान और कानून की नजर में सभी बराबर हैं और सभी को कानूनी संरक्षण पाने का अधिकार है । मूल अधिकारों का उल्लंघन होने पर आप सीधे उच्चन्यायालय या उच्चतम न्यायालय में जा सकते हैं । अपने जानमाल की रक्षा के लिए काम कर सकते हैं । ये अपराध नहीं माने जायेंगे । जैसे बाढ़ आने पर बस्ती को बचाने के लिए नहर को तोड़ देना, मरीज की जान बचाने के लिए उसका पैर काट देना। आत्मरक्षा के लिए हमलावर पर हमला कर सकते हैं , लेकिन एक सीमा तक ही ऐसा कर सकते हैं ।

राष्ट्रीय गौरव अपमान
राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा के अन्तर्गत तीन वर्ष के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। इस धारा को जमानतीय घोषित नहीं किया गया है इस कारण से यह धारा अपराध अजमानतीय है। अजमानतीय होने के कारण इस धारा के अन्तर्गत अभियुक्त को गिरफ्तार कर के मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है।

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अधिवक्ता प्रवीण जैन रायपुर
9406133701
www.praveenjain.in

 

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