घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून लागू

  सरकार को तभी कानून बनाना पड़ता है, जब सामजिक बंधन ढीले पड़ जाते हैं। कानूनी डंडे से सजा का भय दिखाया जाता है। इधर ऐसे कई कानून बने हैं जिनका उद्देश्य परिवार में सुख-चैन लाना है। ऐसा सोचा गया कि घरेलू हिंसा निषेधात्मक कानून बनने पर घरेलू हिंसा समप्त होगी? पर सच तो यह है कि इन कानूनों से सामजिक समस्याएं कम नहीं होतीं। फिर भी कानून बनने आवश्यक हैं। पारिवारिक परेशानियों के लिए कितनी बार कोई कचहरी जाए। कोर्ट का काम परिवार चलाना नहीं है। हर परिवार में पुलिस भी नहीं बैठाई जा सकती। कानून का डंडा भय उत्पन्न करने के लिए है। भारत की प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी किरण बे

झीरम घाटी कांड: कांग्रेसी नेताओं की हत्या सबसे बड़ा अनसुलझा रहस्य!

  रायपुर। 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में हुए वारदात का सच क्या है? क्या इस हमले को किसी षडय़ंत्र के त

लाखों साल पहले पैदा हुए थे असली बाहुबली, कौन था ये भारत का असली हीरो…? अहिंसा न्यूज

   इन दिनों सारे देश में सिर्फ बाहुबली फिल्म को लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है। मनो देश में कोई त्यौहार आया हो और हर कोई इसे उत्साह के साथ मना रहा हो। डायरेक्टर एसएस राजामौली की इस फिल्म ने इतिहास रच दिया है। हर किसी की जुबान पर सिर्फ बाहुबली ही छाया हुआ है। लोग यह जानकर सुकून की सांस ले रहे हैं कि आखिर कट्टप्पा ने बाहुबलि को क्यों मारा लेकिन हम में से अधिकतर लोग इस बात से अंजान है कि हमारे देश भारत में लाखों साल पहले एक असली बाहुबलि ने जन्म लिया था। जिसके शौर्य और पराक्रम के बारे में देवलोक में भी चर्चाएं होती थी। जिसके सामने चक्रवर्ती का चक्रवर्तित

रमन सिंह सरकार को तत्काल भंग कर, राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए: भूपेश

रायपुर: बस्तर सुकमा के बुरकापाल इलाके में नक्सली वारदात में सीआरपीएफ के 25 जवानों के शहादत को नक्सलियों के घिनोनी हरकत बताते हुये प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने इस घटना के लिये सीधे मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को पूर्ण रूपेण जिम्मेदार ठहराया है। सरकार के मुखिया होने के नाते डाॅ. रमन सिंह बस्तर में हो रहे लगातार नक्सली वारदातों के लिये अपनी जिम्मेदारी से किसी तरह नहीं बच सकते। आप 13 वर

बस्तर में कॉरपरेट, ठेकेदार, अफसर, नेता और नक्सली गठजोड़ की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए: प्रवीण जैन

नक्सली हमले में मृतक सुरक्षा बल जवानों की संख्या बढ़ते हुए 34 हो गई है, केंद्रीय गृहमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री ने बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे की घोषणा कर दिया था, परंतु पुनः जवान मारे गए। एक ऐसी सरकार और प्रशासन जिसे स्वतंत्र पत्रकारिता करने वालों, निर्दोष नागरिकों को परेशान करने में आनंद आता हो ,उसका खुफिया तंत्र चापलूसों ,ठेकेदारों के दलालों पर निर्भर हो, वहां निर्दोष आदिवासी और कर्तव्य निभा रहे जवान ही मारे जाते हैं, आप बस्तर में विकास के नाम पर खर्च हो रहे बड़ी धनराशि को देखेंगे तो पाएंगे कि वहां तो सारे काम सुचारू रूप से चल रहे हैं, ठेकेदार सड़कें ब