लोक अदालत क्या है, किन प्रकरणों की सुनवाई लोक अदालत में की जाएगी?

लोक अदालत लोक अदालतों के द्वारा लोगों के आपसी विवाद , जो न्यायालय के समक्ष हों , उनका निपटारा मित्रतपूर्ण ढंग से स्वेच्छा से समाधान निकाला जाता है। लोक अदालत वादी-प्रतिवादियों , कानून व्यवसाय के सदस्यों, सामाजिक कार्य में रत समूहों तथा न्यायिक अधिकारियों के मुकदमे के निष्पक्ष समझौते तक पहुंचने की प्रक्रिया में प्रबुद्ध भागीदारी का मौका देती है । लोक अदालत का निर्णय अधिनिर्णय है औऱ इसके द्वारा दिया गया फैसला अदालतों से मान्यता प्राप्त है । ऐसे फौजदारी मामलों को छोंड़कर  जिनमें सम

कौन निःशुल्क न्याय प्राप्त कर सकता है, किन किन प्रावधान के तहत न्यायालय कानूनी सहायता प्रदान करती है? जानें…

निःशुल्क न्याय का प्रावधान किनको और कैसे उच्चतम न्यायालय का आदेश राज्य ऐसे अभियोगी को जो गरीबी के कारण कानूनी सेवाएं प्राप्त नहीं कर सकता है । उसे नि:शुल्क वैधिक सेवाएं उपलब्ध कराए। अगर मामले की स्थिति व न्याय की मांग है तो अभियुक्त के लिए वकील नियुक्त करे, पर यह तभी हो सकता है जब अभियुक्त को वकील की नियुक्ति पर आपत्ति ना हो। मुकदमे की कार्यवाही के दौरान वैधिक सेवाएं न प्रदान कराना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है । वकील की निय

FIR कैसे करें, किन बातों का ख्याल रखें, क्या है जीरो Fir जाने…

FIR में नागरिकों के अधिकार भारत जैसे विशाल देश में विधि-व्यवस्था को बनाये रखने हेतु हमारे संविधान ने कानून-व्यवस्था की नींव रखी. देश के वीर जवानों एवं अन्य पैरामिलिट्री फ़ोर्स के उलट हमारी पुलिस-व्यवस्था का मुख्य कार्य आतंरिक शांति एवं सुरक्षा को बनाये रखना होता है. मगर क्या आपने कभी सोचा है की किसी भी अपराध के छानबीन एवं गुनाहगार तक पहुँचने की यात्रा की शुरुआत आखिर कहाँ से होती है? जी हाँ आपने सही सोचा,

भारतीय न्याय प्रक्रिया और कानून में मिले नागरिकों को मौलिक अधिकार व कर्तव्य

नागरिक का मौलिक कर्तव्य प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे. भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे. देश की रक्षा करे. भारत के सभी लोगों में समरसता और